कोचिंग क्षेत्र में भ्रामक विज्ञापनों संबंधी रोकथाम विनियमन दिशानिर्देश तैयार करना शुरू – 31 संस्थानों को नोटिस 9 पर जुर्माना
कोचिंग संस्थानों पर लगाम लगाने, दिशा निर्देशों के मसौदे पर विचार विमर्श शुरू, सख्त कार्रवाई करना अच्छी पहल – एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया
किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर यह बात सर्वविदित है कि शिक्षा मानव को ईश्वर प्रदत्त वरदान को निखारती है, जो व्यक्तिगत स्वार्थ से परे हटकर परोपकार, प्रेम, उन्नति, विकास का विशाल स्वरूप व्यक्ति विकास के साधक बनती है। शिक्षा से ही बच्चों का भविष्य उज्ज्वल बनता है। शिक्षा परिवार, समाज, संस्था व राष्ट्र को उन्नत करने एवं एकता को संकुचित दायरे से निकालकर विशाल सार्वभौमिकता के उज्जवल भविष्य का निर्माण करती है। इसलिए आज देश ही नहीं वरन पूरे विश्व में शिक्षा का सबसे ज्यादा प्रचार प्रसार होना चाहिए। परंतु आज समय का तकाजा है कि शिक्षा एक व्यापार व्यवसाय बनकर शिक्षा क्षेत्र पर कुठाराघात कर रहा है। दशकों पूर्व एक जमाना था जब हम शिक्षा ग्रहण कर रहे थे तो ट्यूशन क्लास या कोचिंग संस्थान का नामोनिशान नहीं था और ना ही प्राइवेट स्कूलों की इतनी भरमार थी। आज अगर हम नजर दौड़ाएं तो हमे हजारों शिक्षण संस्थाएं दिखेगी, हालांकि यह अलग बात है कि इसमें से अधिकांश राजनीतिक क्षेत्र से जुड़े नेताओं उनके सहयोगियों और उनके परिवार वालों की है जिसे रेखांकित करना जरुरी है।
उससे चार कदम आगे आज कोचिंग संस्थानों की है जो हमें हर मेट्रो सिटी से लेकर गांव तक देखने को मिलेगी, विशेष रूप से सिविल सेवाओं की कोचिंग तो गजब की है। बेतहाशा फीस वाले कुछ कोचिंग संस्थान परीक्षा पास करने से लेकर नौकरी तक लगवाने की पूरी गारंटी देते हैं। जबकि उनकी संस्थान से खुद की मेहनत पर बने आईएएस, आईपीएस पर अपनी मोहर लगाकर प्रचारित करते हैं। उसके एक कदम आगे बढ़कर पेड न्यूज भी देते हैं। परंतु सरकार की आंख अब खुल चुकी है और अनेक तरहों की बंदिशे लगना शुरू कर दिया है। बता दें केंद्र सरकार ने 24 जुलाई 2020 को केंद्रीय उपभोगता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने कोचिंग क्षेत्र में भ्रामक विज्ञापन पर नकेल कसने और संबंधित दिशा निर्देश तैयार करने के लिए एक समिति का गठन किया है। जिसकी पहली बैठक 8 जनवरी 2024 को संपन्न हुई और तैयार किए गए दिशा निर्देशों के मसौदे पर चर्चा हुई जो जल्द मंजूर के लिए तैयार होंगे।
बता दें, सीसीपीए रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कोचिंग उद्योग 58,088 करोड़ रुपए का है, जिसमें सिविल सेवा परीक्षा कोचिंग का योगदान 3,000 करोड़ रुपए है। दिल्ली को सिविल सेवा परीक्षा कोचिंग का केंद्र माना जाता है। सीसीपीए ने महत्वपूर्ण जानकारी छिपाकर उपभोक्ताओं को गुमराह करने के लिए विभिन्न आईएएस कोचिंग संस्थानों साहित 31 को नोटिस जारी किया है। चूंकि कोचिंग संस्थानों की मनमानी पर लगाम लगाना जरूरी है, इसलिए आज हम पीआईबी व मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे कोचिंग संस्थानों पर लगाम लगाने दिशा निर्देश के मसौदे पर विचार विमर्श शुरू, सख्त कार्रवाई करना अच्छी पहल है।
साथियों बात अगर हम दिनांक 8 जनवरी 2024 को सीसीपीए द्वारा गठित समिति की बैठक में दिशा निर्देशों के मसौदे पर चर्चा की करें तो, भ्रामक विज्ञापनों के जरिए अभ्यर्थियों को भरमाने और सौ प्रतिशत सफलता की गारंटी देने वाले कोचिंग संस्थानों पर सरकार सख्ती करने जा रही है। उनके झूठे दावों वालेविज्ञापनों पर नियंत्रण एवं मनमानी रोकने के लिए केंद्र ने नियमावली बनाई है, जिसे सभी को मानना आवश्यक होगा। (सीसीपीए) की नई नियमावली के दायरे में ऑनलाइन एवं ऑफलाइन दोनों मोड में चलने वाले कोचिंग संस्थानों को लाया जाएगा। अभ्यर्थियों के हितों की रक्षा करने के लिए प्राधिकरण द्वारा बनाई गई कमेटी की पहली बैठक मंगलवार को हुई। इसमें दिशा-निर्देश के ड्राफ्ट पर चर्चा के बाद उसे अंतिम रूप दिया गया। समिति ने यह भी बताया है कि क्या करना चाहिए और क्या नहीं। प्राधिकरण ने कहा कि उसने कोचिंग संस्थानों के भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ स्वत:संज्ञान लेते हुए कार्रवाई की है।
कोचिंग संस्थान सफलता दर, चयनित अभ्यर्थियों की संख्या और किसी अन्य ऐसे झूठे दावे नहीं करेंगे, जिससे उपभोक्ता को गलतफहमी या उसकी स्वायत्तता या पसंद प्रभावित हो सकती है।प्राधिकरण ने यह कदम भ्रामक विज्ञापनों के लिए देशभर के 31 कोचिंग संस्थानों को नोटिस भेजने एवं नौ पर जुर्माना लगाने के कुछ महीने बाद उठाया है। प्राधिकरण ने कहा है कि यह दिशा-निर्देश सभी संस्थानों पर लागू होंगे, चाहे वे ऑनलाइन हों या ऑफलाइन। प्राधिकरण ने कहा कि कोचिंग संस्थान सौ प्रतिशत चयन, नौकरी या प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा में पास होने की गारंटी नहीं दे सकता है। कोचिंग संस्थानों को विज्ञापन जारी करने से पहले विभिन्न पहलुओं को गंभीरता से देखने की हिदायत दी गई है। कहा गया है कि कोचिंग संस्थानों को सफल उम्मीदवारों की तस्वीर के साथ अपेक्षित जानकारी का उल्लेख करना होगा। सफल उम्मीदवारों की रैंक, पाठ्यक्रम एवं अवधि के साथ यह भी बताना होगा कि कोचिंग पैसे लेकर दी गई है या मुफ्त थी। विज्ञापन जारी करने का तरीका भी बताया गया है।
कहा गया है कि अस्वीकरण, प्रकटीकरण या महत्वपूर्ण जानकारी का फांट साइज भी वही होगा जो विज्ञापन में उपयोग किया गया है। साथ ही ऐसी जानकारी का प्लेसमेंट विज्ञापन में प्रमुख और देखने योग्य स्थान पर होगा। दिशा निर्देशों के अनुसार कुछ को कोचिंग संस्थान सफल उम्मीदवारों द्वारा चुने गए पाठ्यक्रमों, अवधि एवं फीस भुगतान के संबंध में जानबूझकर नहीं बताते। यह उपभोक्ताओं को गुमराह करना हुआ। इसमें किसी प्रारूप या माध्यम की परवाह किए बिना सभी प्रकार के विज्ञापन शामिल होंगे। ये दिशा निर्देश ऐसी शर्तें निर्धारित करते हैं। जब कोचिंग संस्थान द्वारा दिया गया कोई विज्ञापन उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के तहत परिभाषित भ्रामक विज्ञापन माना जाएगा, जब उसमें अन्य बातों के साथ-साथ सफल उम्मीदवारों द्वारा चुने गए पाठ्यक्रम से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी सफल उम्मीदवारों द्वारा चुने गए पाठ्यक्रम (चाहे मुफ़्त हो या सशुल्क और पाठ्यक्रम की अवधि आदि) छिपाई गई हो। ये दिशा निर्देश यह भी प्रावधान करते हैं कि कोचिंग संस्थान सफलता दर या चयन की संख्या और किसी भी अन्य प्रक्रिया के बारे में ऐसे झूठे दावे नहीं करेंगे जो उपभोक्ता के लिए गलतफहमी पैदा कर सकते हैं या उपभोक्ता की स्वायत्तता और पसंद को हानि पहुंचा सकते हों।
साथियों बात अगर हम सीसीपीए द्वारा कोचिंग संस्थानों पर कार्रवाई की करें तो, सीसीपीए ने कोचिंग संस्थानों द्वारा भ्रामक विज्ञापन के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए कार्रवाई की थी। इस संबंध में, सीसीपीए ने भ्रामक विज्ञापन के लिए 31 कोचिंग संस्थानों को नोटिस जारी किया है और उनमें से 9 पर भ्रामक विज्ञापन के लिए जुर्माना लगाया है। सीसीपीए को यह पता चला है कि कुछ कोचिंग संस्थान जानबूझकर सफल उम्मीदवारों द्वारा चुने गए पाठ्यक्रम, पाठ्यक्रम की अवधि और उम्मीदवारों द्वारा भुगतान की गई फीस के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी छिपाकर उपभोक्ताओं को गुमराह करते रहते हैं। सीसीपीए ने यह भी देखा कि कुछ कोचिंग संस्थान सत्यापन योग्य साक्ष्य उपलब्ध कराए बिना ही शत-प्रतिशत चयन, शत-प्रतिशत नौकरी की गारंटी और प्रारंभिक तथा मुख्य परीक्षा में सफलता की गारंटी जैसे दावे करने में भी शामिल हैं। मुख्य आयुक्त (सीसीपीए) ने कहा कि उपभोक्ता के हितों की सुरक्षा सीसीपीए की महत्वपूर्ण चिंता का विषय है। उन्होंने विशेष रूप से कोचिंग क्षेत्र में विज्ञापनों से संबंधित विशिष्ट पहलुओं से निपटने में स्पष्टता की जरूरत पर प्रकाश डाला।
साथियों बात अगर हम प्रस्तावित दिशा निर्देशों के मसौदे की करें तो दिशा निर्देश यह भी बताते हैं कि क्या किया जाए और क्या न किया जाए, जिन्हें विज्ञापन जारी करने से पहले देखा जाना चाहिए। कोचिंग संस्थान सफल उम्मीदवार के फोटो के साथ अपेक्षित जानकारी का उल्लेख करेगा। सफल उम्मीदवार द्वारा चुना गया पाठ्यक्रम, कोर्स कीअवधि, कोर्स पेड था या नि:शुल्क, कोचिंग संस्थान शत-प्रतिशत चयन या शत-प्रशित नौकरी की गारंटी या प्रारंभिक या मुख्य परीक्षा की गारंटी का दावा नहीं करेंगे।विज्ञापन में अस्वीकरण/प्रकटीकरण/महत्वपूर्ण जानकारी का फ़ॉन्ट साइज वही होगा जो दावे/विज्ञापन में उपयोग किया गया है। विज्ञापन में ऐसी जानकारी प्रमुख और दृश्यमान स्थान पर होनी चाहिए। यह भी स्पष्ट किया गया कि कोचिंग क्षेत्र द्वारा भ्रामक विज्ञापन के लिए जुर्माना उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के अनुसार नियंत्रित किया जाएगा। यह दिशा निर्देश केवल हितधारकों के लिए स्पष्टीकरण की नियमित प्रकृति में हैं जो उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के प्रावधानों का उल्लंघन उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के मौजूदा प्रावधानों के तहत नियंत्रित करना जारी रहेगा। समिति ने पाया कि दिशा निर्देश जारी करने की तत्काल आवश्यकता है और बैठक में यथा विचार-विमर्श के अनुसार मसौदा जल्द से जल्द जारी किया जाना चाहिए। देशभर में कोचिंग सेंटर द्वारा सरकारी नौकरी की परीक्षा में सफल रहने वाले अभ्यर्थियों की तस्वीर दिखाना अब संभव नहीं होगा। सीसीपीए ने संघ लोक सेवा आयोग परीक्षा में सफल रहने वाले अभ्यर्थियों की तस्वीर के उपयोग के मसले पर रोक लगाने को कहा है। दरअसल कोचिंग सेंटर टॉपर्स की तस्वीर विज्ञापन में लगाते हैं और इसके बदले पैसा भी देते हैं।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि शिक्षा कोचिंग संस्थानों, अटेंशन! कोचिंग क्षेत्र में भ्रामक विज्ञापनों संबंधी रोकथाम विनियमन दिशानिर्देश तैयार करना शुरू – 31 संस्थानों को नोटिस 9 पर जुर्माना।कोचिंग संस्थानों पर लगाम लगाने, दिशानिर्देशों के मसौदे पर विचार विमर्श शुरू, सख्त कार्रवाई करना अच्छी पहल है।
(स्पष्टीकरण : इस आलेख में दिए गए विचार/आंकड़े लेखक के अपने सूत्र से हैं और इसे ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है।)
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