नयी दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस डी.वाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली एक बेंच 11 दिसंबर को संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की वैधता पर फ़ैसला सुनाएगी। अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देता था, लेकिन 5 अगस्त 2019 को भारत सरकार ने इस अनुच्छेद को निरस्त कर दिया और जम्मू-कश्मीर को राज्य से बदलकर केंद्र शासित प्रदेश- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया।
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में भारत सरकार के इस फ़ैसले को चुनौती दी गई और कहा गया कि जिस तरह ये अनुच्छेद निरस्त किया गया वो संवैधानिक नहीं था। सुप्रीम कोर्ट इसी पर फ़ैसला देगी कि क्या ये फ़ैसला संवैधानिक रूप से वैध था? पांच सितंबर को कोर्ट ने इस मामले में अपना फ़ैसला सुरक्षित कर लिया था।
इस मामले में याचिकाकर्ता और सरकार दोनों ने ही अपनी अपनी दलील दी है और सरकार ने तर्क दिया है कि अनुच्छेद 370 को रद्द करने के लिए जो तरीका अपनाया गया वो संविधान संगत था।
वहीं, याचिकाकर्ता पक्ष ने कोर्ट में बहस के दौरान कहा कि केंद्र ने पूर्ण राज्य को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख- दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के लिए संसद में अपने प्रचंड बहुमत और राष्ट्रपति के माध्यम से जारी कई कार्यकारी आदेशों का इस्तेमाल किया। याचिकाकर्ता का कहना है कि ये फ़ैसला संघवाद पर हमला है और इसे संविधान के साथ धोखाधड़ी करके लागू किया गया।
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