नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा के संबंध में फर्जी पहचानपत्र के आधार पर सिम बेचने के आरोपी की जमानत के खिलाफ दिल्ली पुलिस की अपील सोमवार को खारिज कर दी। न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने आरोपी फैजान खान को जमानत देने के दिल्ली हाईकोर्ट के 23 अक्टूबर के आदेश के खिलाफ पुलिस की अपील खारिज कर दी।
पुलिस ने दावा किया था कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में समन्वय के लिए फर्जी पहचानपत्र के आधार पर लिए गए इस सिम कार्ड का इस्तेमाल किया गया था। हालांकि हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि आरोपी फैजान खान के खिलाफ ऐसा कोई आरोप नहीं है कि वह किसी तरह की आतंकी फंडिंग या इससे जुड़ी किसी अन्य गतिविधि में शामिल था।
आरोप है कि सीएए के खिलाफ विरोध के दौरान फरवरी महीने में हिंसा भड़काने में इस सिम का कथित रूप से इस्तेमाल किया गया था।
हाईकोर्ट ने आरोपी को राहत देते हुए कहा था कि यूएपीए कानून के तहत जमानत देने पर प्रतिबंध इस मामले में लागू नहीं होगा, क्योंकि जांच एजेंसी ने ऐसा कुछ नहीं पेश किया है, जिससे पता चले कि वह सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के आयोजन की किसी साजिश में शामिल था।
हाईकोर्ट ने कहा था कि याचिकाकर्ता के खिलाफ यूएपीए के लिए, जांच एजेंसी का कर्तव्य है कि वह यह प्रदर्शित करे कि याचिकाकर्ता को ‘वास्तविक ज्ञान’ था कि विरोध प्रदर्शन के आयोजन के लिए उक्त सिम कार्ड का उपयोग किया जाएगा