निर्जला एकादशी व्रत कथा विशेष

निर्जला एकादशी, पांडव एकादशी, भीम एकादशी

वाराणसी। निर्जला एकादशी के व्रत की शुरुआत 30 मई 2023 मंगलवार की दोपहर 1 बजकर 09 से शुरू हो गई है और 31 मई, बुधवार की दोपहर 1 बजकर 47 मिनट पर यह समाप्त होगी। अतः सूर्य उदया तिथिनुसार निर्जला एकादशी का व्रत 31 मई 2023, बुधवार को रखा जाएगा। हिंदू मान्यताओं के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाता है । माना जाता है कि इस दिन बिना कुछ खाए पिए व्रत रखने से पूरे साल भर की सभी 24 एकादशी का फल मिलता है एवं पापों से मुक्ति मिल जाती है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है

हमारे धर्मग्रंथों में इस पर्व को आत्मसंयम की साधना का अनूठा पर्व माना गया है। निर्जला एकादशी की उपासना का सीधा संबंध एक ओर जहां पानी न पीने के व्रत की कठिन साधना है, वहीं आम जनता को, गरीबों को, भिक्षुकों को पानी पिलाकर/छबीली बांटकर/गुलाब जल का मीठा शरबत पिलाकर परोपकार की प्राचीन भारतीय परंपरा भी है। मठ, मंदिर एवं गुरुद्वारों में कथा प्रवचन धार्मिक अनुष्ठान एवं कीर्तन आदि के कार्यक्रम जहां दिन भर चलते हैं, वहीं शीतल जल के छबीले लगाकर राहगीरों को बुला-बुला कर बड़ी आस्था के साथ पानी पिलाया जाता है।

सर्वज्ञ वेदव्यास ने पाडवों को चारों पुरुषार्थ- धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष देने वाले एकादशी व्रत का संकल्प कराया तो महाबली भीम ने निवेदन किया- पितामह! आपने तो प्रति पक्ष एक दिन के उपवास की बात कही है। मैं तो एक दिन क्या एक समय भी भोजन के बगैर नहीं रह सकता- मेरे पेट में वृक नाम की जो अग्नि है, उसे शान्त रखने के लिए मुझे कई बार भोजन करना पड़ता है तो क्या अपनी उस भूख के कारण मैं एकादशी जैसे पुण्यव्रत से वंचित रह जाउंगा। पितामह ने भीम की समस्या का निदान करते और उनका मनोबल बढ़ाते हुए कहा- नहीं कुंतीनंदन, धर्म की यही तो विशेषता है कि वह सबको धारण ही नहीं करता, सबके योग्य साधन व्रत-नियमों की बड़ी सहज और लचीली व्यवस्था भी उपलब्ध करवाता है।

अत: आप ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की निर्जला नाम की एक ही एकादशी का व्रत करो और तुम्हें वर्ष की समस्त एकादशियों का फल प्राप्त होगा। नि:संदेह तुम इस लोक में सुख, यश और प्राप्तव्य प्राप्त कर मोक्ष प्राप्त करोगे। इतने आश्वासन पर तो वृकोदर भीमसेन भी इस व्रत को करने को सहमत हो गए। इसलिए इस श्रेष्ठ निर्जला एकादशी को पाण्डव एकादशी या भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन स्वयं निर्जल रहकर ब्राह्मण या जरूरतमंद व्यक्ति को शुद्ध पानी से भरा घड़ादान करना चाहिए

निर्जला एकादशी की विशेष उपाय विधि : 31 मई को 11 पानी के घड़े दान करें और महापुण्य की प्राप्ति करे
1. पहला घड़ा मंदिर में
2. दूसरा घड़ा खेड़े महाराज को
3. तीसरा घड़ा माता पिता को
4. चौथा घड़ा गुरु को
5. पांचवां घड़ा कुलपुरोहित को
6. छठा घड़ा सफाई कर्मचारी को
7. सातवा घड़ा कुष्ठ आश्रम में
8. आठवा घड़ा पीपल के पेड़ के नीचे और शेष 3 घड़े गरीब जरूरत मंद लोगो को दान करे। आपका पुण्य अनंत गुना बढ़ेगा।

निर्जला एकादशी पर करे ये उपाय : निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस दिन भगवान विष्णु को पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें।

प्रभु श्री लक्ष्मीविष्णु के मंदिर जाकर पीले रंग का ध्वज अर्पित करें। ऐसा करने से गुरु के दोष से छुटकारा मिल जाता है। इसके साथ ही विवाह में आने वाली अड़चन से छुटकारा मिल जाता है।

मान्यता है कि इस दिन प्याऊ लगवाने या फिर किसी मंदिर के पास जल, शरबत आदि वितरण करने से पितृ दोष और चंद्र दोष से छुटकारा मिल जाता है।

इस दिन जरूरतमंद को अपनी योग्यता के अनुसार चावल, दाल, आटा आदि दान कर सकते हैं। इसके अलावा खरबूज, तरबूज, आम आदि फल भी दान करना शुभ होता है।

इस दिन गरीबों को भोजन कराना या अन्न अर्थात् चावल, शक्कर, दाल, आटा का दान करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और जातक की आय में वृद्धि होती है।

एकादशी के दिन आप नर्सरी से गेंदे का पौधा लाकर उसे छत पर रखें। ऐसा करने से गुरु की अनुकूलता प्राप्त होती है और भाग्य चमक उठता है।

एकादशी का उपाय करके आप आर्थिक समृद्धि भी पा सकते हैं। घर में तुलसी के पौधे को ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) में रखना चाहिए।

शास्त्रों में बताया गया है कि पीपल के वृक्ष में भगवान विष्णु वास करते हैं। इसलिए निर्जला एकादशी व्रत के विशेष दिन पर पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाएं। माना जाता है कि ऐसा करने से कर्ज से मुक्ति मिल जाती है।

पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री

ज्योर्तिविद वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो. 9993874848

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