केन्द्र के पास प्रवासी मजदूरों की मौत का आंकड़ा नहीं होना चौंकाने वाली बात

कोलकाता :  बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने लॉकडाउन के दौरान हुई प्रवासी मजदूरों की मृत्यु से जुड़ा आंकड़ा मुहैया नहीं कराने पर सोमवार को केन्द्र की आलोचना की। इस पर कांग्रेस और भाजपा दोनों ने उन पर निशाना साधा और कहा कि ‘‘दूसरों को सीख देने’’ से पहले राज्य सरकार को पारदर्शी होना चाहिए। ममता ने कहा कि प्रत्येक नागरिक को सूचना पाने का अधिकार है क्योंकि सरकार जनता के प्रति जवाबदेह और जिम्मेदार है। इस बात पर लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने बनर्जी का साथ दिया लेकिन यह भी कहा कि दूसरों पर ऊंगली उठाने से पहले ‘‘राज्य सरकार को स्वयं पारदर्शिता के पथ पर चलना चाहिए।’’

भाजपा के प्रादेशिक नेतृत्व ने तृणमूल सरकार की इस बात पर आलोचना करते हुए इसे ‘‘दोहरा मानदंड’’ करार दिया। संसद के मानसून सत्र में केन्द्र के उत्तर, कि उसके पास प्रवासी मजदूरों की मृत्यु से जुड़ा कोई आंकड़ा नहीं है, के संदर्भ में बनर्जी ने कहा कि यह स्तब्ध करने वाली बात है कि किस प्रकार केन्द्र सरकार का पर्दाफाश हुआ है। ममता ने आज ‘सूचना तक सार्विक पहुंच पर अंतरराष्ट्रीय दिवस’ (इंटरनेशनल डे फॉर यूनिवर्सल एक्सेस टू इन्फोर्मेशन) पर ट्वीट किया कि सरकार ‘‘ लोगों के प्रति जवाबदेह और उत्तरदायी है।’’

मुख्यमंत्री ने ट्वीट किया, ‘‘आज ‘सूचना तक सार्विक पहुंच पर अंतरराष्ट्रीय दिवस’ है। यह स्तब्ध करने वाला है कि हालिया संसद सत्र में भारत सरकार का किस तरह पर्दाफाश हुआ।’’ उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘ अधिकतर सवालों को जवाब था, ‘आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं’। हर नगारिक को सूचना पाने का अधिकार है। सरकार लोगों के प्रति जवाबदेह और उत्तरदायी है।’’ केन्द्रीय श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने मानसून सत्र में संसद में कहा था कि कई राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों ने किसानों की आत्महत्या के संबंध में जानकारी मुहैया नहीं कराई है और इसलिए कृषि क्षेत्र में आत्महत्या के संबंध में राष्ट्रीय आंकड़ा ‘अपुष्ट’ है।

केन्द्र सरकार ने यह भी कहा था कि लॉकडाउन के दौरान अपने पैतृक स्थान जाते समय प्रवासियों की मौत या उनके घायल होने से जुड़ा आंकड़ा भी मौजूद नहीं है। बंगाल कांग्रेस के प्रमुख चौधरी ने कहा कि सरकार द्वारा तथ्यों को छुपाया जाना लोकतंत्र के लिए घातक है। उन्होंने कहा कि राज्य और केन्द्र, दोनों सरकारें सच्चाई छुपाने के लिए आरटीआई कानून को दरकिनार कर रही हैं। उन्होंने कई ट्वीट कर कहा, ‘‘आज सूचना तक सार्विक पहुंच पर अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाया जा रहा है। मेरा मानना है कि भारत में संप्रग सरकार के शासनकाल में पारित सूचना का अधिकार कानून को आज के दिन के लिए उचित सम्मान माना जा सकता है।’’ कांग्रेस नेता ने ममता से कहा कि वह दूसरों पर ऊंगली उठाने के स्थान पर उदाहरण पेश करें और महामारी पर राज्य सरकार श्वेतपत्र पेश करे। उन्होंने कहा कि परमार्थ की शुरुआत घर से होनी चाहिए।

तृणमूल कांग्रेस सरकार की आलोचना करते हुए पश्चिम बंगाल भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि पह (पश्चिम बंगाल सरकार) ‘‘तथ्यों और आंकड़ों को छुपाने’’ की कला में पारंगत हो गयी है। उन्होंने कहा, ‘‘तृणमूल सरकार को केन्द्र को सीख नहीं देनी चाहिए। उसका दोहरा मानदंड सबके सामने आ गया है। कोविड महामारी के दौरान राज्य सरकार ने तथ्यों और आंकड़ों को छुपाने की कला में महारत हासिल कर ली है। वे केन्द्र की अंतर-मंत्रालयी टीम के दौरे पर रंगे हाथ पकड़े गए थे

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