सिलीगुड़ी। भारत-बांग्लादेश सीमा पर मुस्तैदी से अपने कर्तव्यों और दायित्वों का निर्वहन करते हुए सीमा सुरक्षा बल के प्रहरी सीमावर्ती क्षेत्रों के युवाओं के कौशल विकास के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। इसी क्रम में अजय सिंह, महानिरीक्षक, उत्तर बंगाल फ्रंटियर के गतिशील नेतृत्व में उत्तर बंगाल फ्रंटियर के जलपाईगुड़ी सेक्टर की 40 वीं वाहिनी बीएसएफ द्वारा कुचलीवाड़ी क्षेत्र में सीमा पर भर्ती पूर्व कोचिंग, कंप्यूटर कोचिंग और इलेक्ट्रीशियन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जिससे सीमांत क्षेत्र के युवाओं को रोजगार के अवसर प्राप्त करने एवं अपना जीवन सफल बनाने में प्रभावी मदद मिल रही है।सीमा सुरक्षा बल द्वारा लगभग डेढ़ वर्ष से सीमा चैकी कुचलीबाड़ी एवं बीआरके बाड़ी में भर्ती पूर्व प्रशिक्षण दिया जा रहा है जिसके तहत योग्य बीएसएफ कर्मियों द्वारा सीमावर्ती युवाओं को कुशल शारीरिक प्रशिक्षण एवं लिखित परीक्षा की तैयारी करायी जाती है।
इस कार्य के लिए उन बच्चों को खेल पोशाक, जूते और किताबें आदि भी सीमा सुरक्षा बल द्वारा निःशुल्क दिया जाता है।हालांकि शुरू में सीमावर्ती युवकों का बीएसएफ द्वारा चलाए जा रहे प्रशिक्षण कार्यक्रम की ओर रुझान नहीं था। लेकिन कहा जाता है कि ‘‘कौन कहता है कि आसमान में छेद नहीं हो सकता दोस्तों, एक पत्थर तो दिल से मारो‘‘। इसी तर्ज पर सीमा पर आपराधिक गतिविधियों में शामिल होने से रोकने के लिए बीएसएफ ने युवाओं को सही रास्ते पर लाने का अथक प्रयास शुरू किया, जिसके धीरे-धीरे परिणाम दिखने लगे । समय-समय पर समन्वय बैठकों में ग्रामीणों को ऐसे कार्यक्रमों के लाभ समझाने के बाद ग्रामीण अपने बच्चों को प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भेजने लगे।
सीमा सुरक्षा बल के साहसिक प्रयासों और सीमावर्ती युवाओं की कड़ी मेहनत के कारण अब तक 50 में से 11 सीमावर्ती युवा विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल हुए हैं। गांव 110 बजाजामा के चंदन राय, सुरोजित मंडल, जोतीश राय, प्राण किशोर व बरुण कुमार राय, कुचलीबाड़ी गांव के नयन शील, सपना राय, भूपाल राय व रानी खातून व धूपगुड़ी गांव के राहुल हुसैन शामिल हैं। अजय सिंह महानिरीक्षक, उत्तर बंगाल फ्रंटियर के सीमा भ्रमण के दौरान, इन बच्चों के साथ बातचीत की और उन्हें कड़ी मेहनत करने के लिए प्रोत्साहित किया ताकि वे अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकें और नागरिकों के रूप में एक सफल जीवन जी सकें और सामाजिक दायित्वों को बखूबी निभा पाएंगे।