डी पी सिंह की रचनाएं

रङ्गों का त्यौहार… होली 

रङ्ग हमें ये सिखलाते हैं, कैसे रहना मिलकर सङ्ग
घुल मिल जाना क्या होता है, श्वेत रङ्ग से सीखो ढङ्ग
अगर अलग भी होना हो तो होना कुछ ऐसे, जैसे
आसमान में बिखर रहे हों, इन्द्रधनुष के सातो रङ्ग

डीपी सिंह

 

 

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