तारकेश कुमार ओझा, खड़गपुर : 2019 लोकसभा चुनाव में हार से सबक लेते हुए तृणमूल कांग्रेस आसन्न विधानसभा चुनाव को लेकर हर कदम फूंक – फूंक कर रख रही है । खड़गपुर टाउन के मामले में पार्टी नेतृत्व कुछ ज्यादा ही संजीदगी दिखा रहा है , जहां नगरपालिका के चुनाव भी होने हैं । खड़गपुर शहर तृणमूल नेतृत्व के लिए शुरू से ही चुनौतीपूर्ण राजनैतिक मैदान साबित हुआ है । 2016 के विधानसभा चुनाव में यहां कांग्रेस को हरा कर भाजपा का जीतना कांग्रेस से ज्यादा टी एम सी को झटका दे गया था।
पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में मेदिनीपुर संसदीय क्षेत्र से टी एम सी की शोचनीय हार के पीछे विजयी भाजपा उम्मीदवार दिलीप घोष को खड़गपुर शहर से मिली करीब 40 हजार से अधिक वोटों की लीड को बड़ा कारण माना गया था । हालांकि इसके कुछ महीने बाद नवंबर में हुए विधानसभा उपचुनाव में भाजपा को धुल चटा कर टीएमसी ने पिछली हार का हिसाब तो बराबर कर लिया , लेकिन सांगठनिक गतिविधियों को लेकर पार्टी नेतृत्व कभी इतना सहज नहीं हो पाया कि नगरपालिका चुनाव की निश्चित सफलता के प्रति आश्वस्त हो सके । सांगठनिक फेरबदल में असित पाल को खड़गपुर शहर में युवा इकाई का अध्यक्ष बना कर नेतृत्व ने गुटीय संतुलन साधने की कोशिश की है । असित पाल युवा तो हैं ही , वरिष्ठ नेता , सभासद और पूर्व नपाध्यक्ष जवाहर लाल पाल के बेटे भी हैं । असित लंबे समय से पार्टी की युवा इकाई में सक्रिय रहे हैं , लेकिन कई बार चर्चा छिड़ने के बावजूद उन्हें अध्यक्ष सरीखा कोई बड़ा पद अभी तक नहीं मिल पाया था ।
अब बड़ा सस्पेंस पार्टी के संभावित अगले अध्यक्ष को लेकर है । क्योंकि रविशंकर पांडेय के जिला समिति में उपाध्यक्ष बन जाने से यह पद रिक्त हो गया है । इस मामले में नेतृत्व की दुविधा का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिला समिति की घोषणा के बावजूद वो खड़गपुर शहर अध्यक्ष पद पर अपने फैसले को स्थगित रखे हुए है । संभावित अगले अध्यक्ष के बतौर चर्चा में तो कई नाम है , लेकिन बड़े से बड़ा नेता भी इस पर कुछ बोलने को तैयार नहीं है ।