।।मेरी आवाज़ ही पहचान है।।
श्याम कुमार राई ‘सलुवावाला’ । अपनी ही तरह की एक अलग आवाज-अंदाज के धनी गायक भूपेन्द्र सिंह बीते 19 जुलाई को फ़ानी दुनिया छोड़कर चले गए। उनका जाना फिल्मी गीत-संगीत की वह क्षति है, जिसे हम अपूरणीय कह सकते हैं। अच्छे शख्स-कलाकार मरा नहीं करते। बस वे नजर नहीं आते, उनकी शख्सियत हमारी यादों में सदा बसे रह जाते हैं। उन्होंने अपेक्षाकृत कम गाया पर ज्यादातर गाए गाने हमारी जिंदगी का अटूट हिस्सा बन गए। बहुत से लोगों को मालूम है और बहुत से लोगों को मालूम नहीं भी है कि दिग्गज संगीतकार मदन मोहन जी ने उन्हें गाने का पहला मौका दिया था।
फिल्म थी हक़ीक़त। इस फिल्म का गाना — ‘होके मजबूर मुझे उसने भुलाया होगा….’ में उन्होंने मोहम्मद रफ़ी, मन्ना डे और तलत महमूद जैसे महान गायकों के साथ गाया है। इस गाने में उन्होंने न केवल आवाज़ दी बल्कि उन बोलों पर उन्हें अभिनय करने का भी सौभाग्य मिला था। अब अगर आप कभी यह गीत देखें- सुने तो गौर से देखिएगा पर्दे पर अपना गाना भूपेन्द्र सिंह खुद गा रहे हैं। 7 मिनट 1 सेकेंड के इस गाने का पहला अंतरा ही भूपेन्द्र सिंह का गाया हुआ है और पूरे अंतरे में उन्होंने लिप-सिंक किया है।
एक और दिलचस्प जानकारी बताऊं कि फिल्म ‘हंसते जख्म’ का शायर-गीतकार कैफ़ी आज़मी का लिखा लाजवाब-सदाबहार गाना — ‘तुम जो मिल गए हो ….’ आपने जरूर सुना होगा। इस गाने में आपने गिटार बजते हुए सुना होगा। तो यह जान लें कि गाने में गिटार का वह टुकड़ा गायक भूपेन्द्र जी द्वारा ही बजाया गया था। उनके बजाए गिटार को सुनकर रिकार्डिंग के बाद मदनमोहन जी ने उनकी पीठ पर मुक्का मारते हुए कहा था, “तुमने मेरी उम्मीद से कहीं बढ़कर बजाया है।”
उनके गाए खूबसूरत गानों की फेहरिस्त हर फिल्मी गीत-संगीत प्रेमियों को मालूम ही है। वो चाहे ‘नाम गुम जाएगा…’ (किनारा), ‘बीती न बिताई रैना…’ (परिचय), ‘दिल ढ़ूंढता है फिर वही फुर्सत के रात दिन…’ (मौसम), ‘दो दीवाने शहर में…’, ‘कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता…’ (आहिस्ता आहिस्ता), ‘किसी नजर को तेरा इंतज़ार आज भी है…’ (एतबार), ‘हुजूर इस कदर भी न इतरा के चलिए…’ (मासूम) हों या अन्य गाने।
इन सबके अलावा एक गाना है जो मुझे विशेष रूप से पसंद है। जिसे मैं बराबर सुनता और गुनगुनाता रहता हूं। अनुराधा पौडवाल के साथ गाया यह युगल गीत है। इसके बोल हैं — ‘जिंदगी में जब तुम्हारे ग़म नहीं थे …’। यह गीत फिल्म ‘दूरियां’ से है। प्रख्यात शायर सुदर्शन फ़ाकिर के शब्दों को गुणी संगीतकार जयदेव ने बहुत ही प्यारी धुन में पिरोया है। इस गजल का हर भाग बेहतरीन है अर्थात इसकी धुन, इसके बोल और गायकी सब सुनने से ताल्लुक रखता है।
भूपेन्द्र सिंह जी हमेशा-हमेशा गीत-संगीत प्रेमियों के दिल में बसे रहेंगे। मैं उन्हें हार्दिक श्रद्धा-सुमन अर्पित करता हूं।