Kolkata: इस बार नवरात्रि 7 अक्टूबर 2021, गुरुवार से शुरू हो रही है और इसको लेकर प्रचलित मान्यताओं के अनुसार दो अशुभ संकेत मिल रहे हैं। ये संकेत बड़ी दुर्घटनाओं के सूचक माने जाते हैं। पितृ पक्ष खत्म होते ही अगले दिन से शारदीय नवरात्रि का पर्व शुरू होगा। 9 दिन तक मां शक्ति की आराधना के साथ-साथ उत्सव भी मनाया जाएगा।
साल में पड़ने वाली 4 नवरात्रि में यह नवरात्रि इसलिए खास होती हैं क्योंकि इसमें आराधना के साथ-साथ उत्सव भी होता है। इस साल 2021 में अश्विन महीने की नवरात्रि 7 अक्टूबर से शुरू होंगी और 15 अक्टूबर को दशहरा मनाया जाएगा। इसी दिन देवी मां की प्रतिमाओं का विसर्जन होता है।
मां दुर्गा का वाहन : यूं तो मां दुर्गा का वाहन सिंह को माना जाता है, लेकिन हर साल नवरात्रि के समय तिथि के अनुसार माता अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर धरती पर आती हैं। यानी माता सिंह की बजाय दूसरी सवारी पर सवार होकर भी पृथ्वी पर आती हैं। देवीभागवत पुराण में जिक्र किया गया है कि –
शशि सूर्य गजरुढा शनिभौमै तुरंगमे।
गुरौशुक्रेच दोलायां बुधे नौकाप्रकीर्तिता॥
इस श्लोक में सप्ताह के सातों दिनों के अनुसार, देवी के आगमन का अलग-अलग वाहन बताया गया है। अगर नवरात्रि का आरंभ सोमवार या रविवार को हो, तो इसका मतलब है कि माता हाथी पर आएंगी। शनिवार और मंगलवार को आश्विन शुक्ल प्रतिपदा यानी कलश स्थापना हो, तब माता अश्व यानी घोड़े पर सवार होकर आती हैं। गुरुवार या शुक्रवार को नवरात्रि का आरंभ हो रहा हो, तब माता डोली पर आती हैं।
बुधवार के दिन नवरात्रि पूजा आरंभ होने पर माता नाव पर आरुढ़ होकर आती हैं। नवरात्रि का विशेष नक्षत्रों और योगों के साथ आना मनुष्य जीवन पर खास प्रभाव डालता है। ठीक इसी प्रकार कलश स्थापन के दिन देवी किस वाहन पर विराजित होकर पृथ्वी लोक की तरफ आ रही हैं, इसका भी मानव जीवन पर विशेष असर होता है।
शुभ नहीं हैं ये संकेत : नवरात्रि को लेकर इस साल जो स्थितियां बन रही हैं, वे शुभ नहीं है। इसकी दो वजहें हैं। पहला कारण है कि नवरात्रि गुरुवार से शुरू हो रही हैं। जब नवरात्रि गुरुवार से शुरू होती हैं तो इसका मतलब होता है कि देवी मां डोली में सवार होकर आ रही हैं। ज्योतिष में मां दुर्गा की डोली की सवारी को शुभ नहीं माना जाता है। मां की ऐसी सवारी नुकसान, हिंसा और प्राकृतिक आपदाएं आने का संकेत देती है।
नवरात्री के दिन का घटना भी शुभ नहीं : अश्विन 2021 की नवरात्रि को लेकर दूसरा अशुभ कारण है, नवरात्री के दिनों का घटना। नवरात्रि 9 दिनों की होती हैं लेकिन इस साल हिंदू पंचांग के अनुसार यह त्योहार 8 दिनों का ही है। ज्योतिष और धर्म दोनों के ही मुताबिक नवरात्रि के दिनों का घटना शुभ नहीं माना जाता है। यदि नवरात्रि बढ़कर 9 दिन की बजाय 10 दिन की हों तो यह बहुत अच्छा होता है। मान्यता है कि नवरात्रि के दिनों के दौरान मां धरती पर आकर अपने भक्तों का आशीर्वाद देती हैं। ये 9 दिन देवी दुर्गा के 9 रूपों को समर्पित होते हैं।
माता दुर्गा के नौ रूप :
शैलपुत्री – इसका अर्थ- पहाड़ों की पुत्री होता है।
ब्रह्मचारिणी – इसका अर्थ- ब्रह्मचारीणी।
चंद्रघंटा – इसका अर्थ- चाँद की तरह चमकने वाली।
कूष्माण्डा – इसका अर्थ- पूरा जगत उनके पैर में है।
स्कंदमाता – इसका अर्थ- कार्तिक स्वामी की माता।
कात्यायनी – इसका अर्थ- कात्यायन आश्रम में जन्मि।
कालरात्रि – इसका अर्थ- काल का नाश करने वली।
महागौरी – इसका अर्थ- सफेद रंग वाली मां।
सिद्धिदात्री – इसका अर्थ- सर्व सिद्धि देने वाली।
माता के आने और जाने वाली वाहनों का यह होता है शुभ-अशुभ असर : माता दुर्गा जिस वाहन से पृथ्वी पर आती और हैं और जाती हैं, उसके अनुसार वर्ष भर होने वाली घटनाओं का भी अनुमान किया जाता है। इनमें कुछ वाहन शुभ फल देने वाले और कुछ अशुभ फल देने वाले होते हैं।
- देवी हाथी पर सवार होकर आती है तो पानी ज्यादा बरसता है।
- देवी घोड़े पर आती हैं तो युद्ध की आशंका बढ़ जाती है।
- देवी नौका पर आती हैं तो सभी की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
- देवी डोली पर आती हैं तो महामारी का भय बना रहता हैं।
इसका भी वर्णन देवी भागवत में किया गया है।
गजे च जलदा देवी क्षत्र भंग स्तुरंगमे।
नोकायां सर्वसिद्धि स्या ढोलायां मरणंधुवम्।।
माता के जाने का वाहन भी होता है निश्चित : देवी भगवती का आगमन भी निश्चित वाहन से होता है और गमन भी निश्चित वाहन से ही करती हैं। यानी जिस दिन नवरात्र का अंतिम दिन होता है, उसी के अनुसार देवी के जाने का वाहन भी तय होता है। इसी के अनुसार जाने के दिन व वाहन का भी शुभ-अशुभ फल होता है।
- रविवार या सोमवार को देवी भैंसे की सवारी से जाती हैं तो देश में रोग और शोक बढ़ता है
- शनिवार या मंगलवार को देवी मुर्गे पर सवार होकर जाती हैं, जिससे दुख और कष्ट की वृद्धि होती है।
- बुधवार या शुक्रवार को देवी हाथी पर जाती हैं। इससे बारिश ज्यादा होती है।
- गुरुवार को मां दुर्गा मनुष्य की सवारी से जाती हैं। इससे सुख और शांति की वृद्धि होती है।
शशि सूर्य दिने यदि सा विजया महिषागमने रुज शोककरा।
शनि भौमदिने यदि सा विजया चरणायुध यानि करी विकला।।
बुधशुक्र दिने यदि सा विजया गजवाहन गा शुभ वृष्टिकरा।
सुरराजगुरौ यदि सा विजया नरवाहन गा शुभ सौख्य करा॥
(नोट : इस लेख में दी गई सूचनाएं देवी भागवत पुराण, मान्यताओं और सामान्य जानकारी पर आधारित हैं। कोलकाता हिंदी न्यूज इनकी पुष्टि नहीं करता है।)