कोलकाता। साहित्य अकादमी भाषा सम्मान के लिए भोजपुरी भाषा में उत्कृष्ट लेखन के लिए डॉ. अशोक द्विवेदी और अनिल ओझा ’नीरद’ के नाम की संयुक्त रूप से हुई घोषणा की गई। विश्व भोजपुरी सम्मेलन के अध्यक्ष अजित दुबे ने इस पर कहा कि विगत 8 वर्षों के बाद गैर मान्यता प्राप्त भाषा की श्रेणी में भोजपुरी के साहित्यकारों का सम्मान भोजपुरी भाषा और साहित्य के लिए प्रोत्साहित करने वाला निर्णय है।
इसमें सम्मान स्वरूप एक लाख रुपया और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाता है। मालूम हो कि मान्यता प्राप्त 24 भाषाओं में साहित्य अकादमी प्रति वर्ष पुरस्कार देती है और अन्य गैर मान्यता प्राप्त भाषाओं के साहित्यकारों को भी समय-समय पर भाषा सम्मान प्रदान किया जाता है।
बता दें कि अनिल ओझा ‘नीरद’ रुद्रपुर, गायघाट, बलिया के मूल निवासी हैं। वह फिलहाल पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले में रहते हैं। वहीं डॉक्टर अशोक द्विवेदी बलिया शहर के निवासी है। दोनों ने बलिया का मान बढ़ाया है। विश्व भोजपुरी सम्मेलन के अध्यक्ष अजित दुबे ने इस पर कहा कि विगत 8 वर्षों के बाद गैर मान्यता प्राप्त भाषा की श्रेणी में भोजपुरी के साहित्यकारों का सम्मान भोजपुरी भाषा और साहित्य के लिए प्रोत्साहित करने वाला निर्णय है। इसमें सम्मान स्वरूप एक लाख रुपया और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाता है।
साहित्य अकादमी अनुवाद पुरस्कारों की हुई घोषणा : साहित्य अकादमी द्वारा शनिवार को ही 2020 के अनुवाद पुरस्कारों की भी घोषणा की गई। साहित्य अकादमी के अध्यक्ष डॉ. चंद्रशेखर कंबार की अध्यक्षता में कार्यकारी मंडल की बैठक में 24 पुस्तकों को साहित्य अकादमी अनुवाद पुरस्कार 2020 के लिए अनुमोदित किया गया। पुस्तकों का चयन नियमानुसार गठित संबंधित भाषाओं की त्रिसदस्यीय निर्णायक समितियों की संस्तुतियों के आधार पर किया गया।
पुरस्कार, पुरस्कार वर्ष के पूर्ववर्ती वर्ष के पहले के पांच वर्षों (1 जनवरी 2014 से 31 दिसम्बर 2018) के दौरान प्रथम प्रकाशित अनुवादों को प्रदान किए गए है। पुरस्कार के रूप में 50,000 रुपए की राशि और उत्कीर्ण ताम्रफलक इन पुस्तकों के अनुवादकों को इसी वर्ष आयोजित एक विशेष समारोह में प्रदान किए जाएंगे।