Special Story : डाक टिकटों में भी बंगाल की मिठास, सीताभोग-मिहिदाना की अलग छाप

अनामिका, कोलकाता। बर्दवान की सदियों पुरानी मिठाई सीताभोग और मिहिदाना इस बार डाक विभाग द्वारा जारी विशेष डाक टिकट में सामने आई है। डाक विभाग के आला अधिकारियों ने बताया कि इन दोनों मिठाइयों की लोकप्रियता बढ़ाने के लिए केंद्र की ओर से ऐसा कदम उठाया गया है। पिछले दिनों बर्दवान मुख्य डाकघर में आयोजित एक समारोह में सीताभोग-मिहिदाना की तस्वीर वाले डाक टिकट के पहले दिन के कवर का अनावरण किया गया।

जिले के मिठाई व्यापारियों ने दावा किया कि इन दोनों मिठाइयों को सरकार की आधिकारिक मान्यता मिली है। बर्दवान में सीताभोग-मिहिदाना के व्यापारियों ने इस पर खुलकर खुशी जाहिर की है। केंद्र सरकार द्वारा 2 अप्रैल 2017 को भौगोलिक संकेत (जीआई) के अधिग्रहण को पांच साल से अधिक समय बीत चुका है।

हालांकि, मिठाई व्यापारियों का दावा है कि प्रचार के अभाव में सीताभोग-मिहिदाना का नाम पूरे देश में नहीं फैला है। उन्हें उम्मीद है कि इस बार डाक विभाग के इस कदम से कमियों को दूर किया जा सकता है। विशेष डाक टिकट का उद्घाटन दक्षिण बंगाल क्षेत्र की पोस्टमास्टर जनरल शशि सालिनी कुजूर ने किया।

इस अवसर पर बर्दवान संभाग के वरिष्ठ डाक अधीक्षक सैयद फ़राज़ हैदर नबी और बर्दवान सीताभोग-मिहिदाना ट्रेडर्स वेलफेयर एसोसिएशन के सचिव प्रमोद कुमार सिंह उपस्थित थे।

उन्होंने बताया कि इस समय से इस फर्स्ट डे कवर की व्यवस्था देश के सभी राज्यों के डाकघरों में की जाएगी। शशि ने कहा, ‘भारतीय डाक विभाग इस लोकप्रिय मिठाई को बर्दवान में इसकी लोकप्रियता बढ़ाने के उद्देश्य से प्रचारित कर रहा है। परिणामस्वरूप देश के अन्य भागों में सीताभोग-मिहिदाना की लोकप्रियता बढ़ेगी।”

कभी लॉर्ड कर्जन को बर्दवान के महाराजा ने परोसा था इसे मिहिदाना और सीताभोग ने पहली बार बर्दवान के तत्कालीन राजा, महाराजा बिजय चंद महताब के बाद लोकप्रियता हासिल की थी। कहा जाता है कि 1904 में भारत के तत्कालीन वायसराय लॉर्ड कर्जन को इसे परोसा गया था।

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