कोलकाता। विश्व भारती के कुलपति विद्युत चक्रवर्ती की जांच करने आए चिकित्सकों के एक दल को कुलपति के आवास के बाहर प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने अंदर नहीं जाने दिया, क्योंकि उनके इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया गया था कि स्वास्थ्य जांच के दौरान उनमें से दो छात्र चिकित्सकों के साथ जाएंगे।
इसके बाद, पश्चिम बंगाल सरकार ने कुलपति के स्वास्थ्य की जांच के लिए गुरुवार देर रात बोलपुर अनुमंडल अस्पताल से चार सदस्यीय चिकित्सकीय दल भेजा था, लेकिन उनके परिवार ने इस दल के साथ मौजूद एसडीपीओ (अनुमंडल पुलिस अधिकारी) को बताया कि कुलपति अब ठीक हैं और उन्हें तत्काल किसी जांच की आवश्यकता नहीं है।
तीन छात्रों के निष्कासन को लेकर छात्रों और कुछ शिक्षकों द्वारा किए जा रहे विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर चक्रवर्ती ने पिछले छह दिनों में घर से बाहर कदम नहीं रखा है। दो अस्पताल के चिकित्सकों एवं नर्सों के एक और दल ने कुलपति के आवास के बाहर रात करीब साढ़े नौ इंतजार किया। एसडीपीओ अभिषेक रॉय ने उनके परिवार को फोन किया और कहा कि अगर उन्हें किसी प्रकार की आपात चिकित्सा सुविधा की जरूरत है तो प्रशासन ने सहायता भेजी है।
उन्होंने बताया, ‘‘उनकी बेटी ने फोन उठाया और बताया कि कुलपति सो रहे हैं और वह अब ठीक हैं। उन्होंने कहा कि किसी चिकित्सकीय जांच की आवश्यकता नहीं है। हम अभी लौट रहे हैं, लेकिन जब भी जरूरत होगी हम वापसी के लिए तैयार रहेंगे।’’
इससे पहले दोपहर में विश्वविद्यालय की ओर से भेजे गए पहले चिकित्सकीय दल को प्रदर्शनकारियों ने कुलपति के आवास में घुसने से रोक दिया था। इस दल में शामिल एक डॉक्टर ने संवाददाताओं को बताया कि चक्रवर्ती को बेचैनी की शिकायत होने के बाद विश्वभारती प्रशासन ने उन्हें और उनके अन्य सहयोगियों को कुलपति के स्वास्थ्य की जांच करने के लिए कहा था, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने उन्हें रोक दिया।
हालांकि, एक प्रदर्शनकारी ने दावा किया कि वह और अन्य छात्र ‘‘कुलपति के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित हैं’’ और यह पता लगाना चाहते थे कि उनकी तबियत कैसी है। उन्होंने कहा, ‘‘हमने प्रस्ताव दिया था कि दो छात्रों को स्वास्थ्य टीम के साथ जाने की अनुमति दी जाए। चूंकि कुलपति ने हमें अपने घर में प्रवेश की अनुमति नहीं दी , इसलिए हमें टीम को वापस भेजना पड़ा।’’
प्रदर्शनकारी ने कहा कि वह चक्रवर्ती के स्वस्थ होने की कामना करते हैं, लेकिन ”डॉक्टरों के साथ उनके (कुलपति के) घर से बाहर चले जाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता”। प्रदर्शनकारियों का समर्थन करते हुए, विश्व भारती विश्वविद्यालय संकाय संघ (वीबीयूएफए) पदाधिकारी सुदीप्तो भट्टाचार्य ने जानना चाहा कि “अगर दो युवा छात्र वहां जाते, तो क्या नुकसान होता?”
इससे पहले, विश्वभारती से तीन छात्रों के निष्कासन को लेकर विद्यार्थियों के विरोध प्रदर्शन के बीच अध्यापकों के एक समूह ने विश्वविद्यालय के कुलाधिपति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर उनसे इस प्रतिष्ठित संस्थान में आयी गिरावट को रोकने के लिए उपयुक्त कदम उठाने का अनुरोध किया।
कुलपति विद्युत चक्रवर्ती के हाल के कुछ निर्णयों का विरोध करते हुए विश्व भारतीय विश्वविद्यालय अध्यापक संघ (वीबीयूएफए) के पत्र में कहा गया है कि जिन मामलों में ‘‘तीन विद्यार्थियों को निकाल दिया गया और बड़ी संख्या में अध्यापकों एवं कर्मियों को निलंबित किया या उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया ’’ उनका संवाद एवं चर्चा के माध्यम हल किया जा सकता था। एसोसिएशन ने आशंका प्रकट की कि पिछले दो सालों में कुलपति द्वारा लिये निर्णयों के कारण सामने आये घटनाक्रम से संस्थान ‘ बंद’ हो सकता है।
वीबीयूएफए ने प्रधानमंत्री मोदी को भेजे पत्र में आरोप लगाया, ‘‘ माननीय कुलाधिपति नियमित रूप से इस विशाल देश के विद्यार्थियों से संवाद करते हैं लेकिन प्रोफेसर चक्रवर्ती विद्यार्थियों से बातचीत करने में विफल रहे जबकि ये छात्र-छात्राएं हमारे बेटे-बेटियों के समान हैं। टकराववादी रवैये एवं दिशादृष्टि की कमी के कारण प्रोफेसर चक्रवर्ती विश्वभारती को अस्तित्व के संकट पर ले जा रहे हैं।’’
शिक्षकों के एक वर्ग का प्रतिनिधित्व करने वाले इस निकय ने आरोप लगाया है कि कार्यकारी परिषद समेत विश्वविद्यालय के विभिन्न निकिाय ‘पक्षपातपूर्ण रवैये’ के साथ एवं कुलपति के इशारे पर काम कर रहे हैं। उसने मांग की कि चक्रवर्ती के विरूद्ध की गयी शिकायतों की जांच उच्च न्यायालय के न्यायाधीश या सेवानिवृत न्यायाधीश की अगुवाई वाली एक स्वतंत्र समिति से करायी जाई।
तीन विद्यार्थियों को उनके कथित दुर्व्यवहार को लेकर इस केंद्रीय विश्वविद्यालयों से निष्कासित कर दिया गया है। उनमें दो अर्थशास्त्र की पढाई कर रहे हैं जबकि तीसरा संगीत विभाग से जुड़ा है। तीनों को उनके कथित दुर्व्यवहार एवं परिसर में प्रदर्शन के दौरान चक्रवर्ती के विरूद्ध अभद्र भाषा का प्रयोग करने को लेकर पहले जनवरी 2021 में निलंबित किया गया।
विश्वभारती के एक अधिकारी ने बताया कि तीनों को ही विश्वविद्यालय द्वारा नियुक्त जांच आयुक्त के सामने अपना पक्ष रखने का मौका दिया गया था लेकिन वे ‘अड़ियल एवं माफी नहीं मांगने का रुख अपनाए हुए हैं। ’’
अधिकारी ने कहा कि कुलपति के विरूद्ध लगाये गये आरोप ‘असत्य’ हैं एवं विश्वविद्यालय प्रशासन नोबेल पुरस्कार प्राप्तकर्ता रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा स्थापित ‘‘इस संस्थान के बहुविषयक अकादमिक मापदंड को सुधारने के लिए‘ सभी पक्षों के साथ मिलकर काम करना चाहता है।