तारकेश कुमार ओझा, खड़गपुर : बंगाल जीत कर भी खड़गपुर खोने का गम राज्य में सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस को अब भी सता रहा है। जंगल महल में नगरपालिका चुनाव की हलचल के बीच दलीय नेतृत्व एक बार फिर रेलनगरी में विजय ध्वज लहराने को बेताब नजर आ रही है। बता दें कि हाल में संपन्न विधानसभा चुनाव में टीएमसी ने खड़गपुर सदर और घाटाल को छोड़ जिले की सभी सीटों पर जीत का परचम फहराया था।
हालांकि भारी सफलता के बावजूद खड़गपुर सदर सीट पर हुई मामूली अंतर से हार की टी एम सी नेताओं की टीस जीत की सफलता पर भारी पड़ गई क्योंकि नवंबर 2019 के उप चुनाव में पार्टी ने यहां शानदार जीत हासिल की थी। इसके फलस्वरूप हाल में घोषित टी एम सी की जिला और खड़गपुर टाउन कमेटी की घोषणा में संगठन के भावी योजनाओं का रोड मैप नजर आता है।
पार्टी हाई कमान अब भी अनुभवी और घाघ नेताओं के बजाय एक बार फिर अराजनीतिक पृष्ठ भूमि वाले नौसिखियों पर दांव खेलने को उतावला दिख रहा है। माना जा रहा है इस रणनीति के तहत पार्टी खड़गपुर शहर के कुल 35 वार्डों में अधिकांश पर नए उम्मीदवार उतार सकती है। जंगल महल के अन्य नगरपालिका क्षेत्रों में भी पार्टी यही रणनीति अपना सकती है।पालिका चुनाव को लेकर विरोधी खेमे खासकर भाजपा की हालिया रणनीति फिलहाल यही है कि दलीय नेता विधानसभा उप चुनाव से पहले नगरपालिका चुनाव चाहते हैं ।