Kolkata Desk : संत कबीरदास का जन्म ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा के दिन संवत् 1455 में हुआ था। वह भक्तिकाल के महान कवियों में से एक माने जाते हैं जिन्होंने अनेकों दोहों की रचना की उनके दोहे आज भी प्रसिद्ध है। संत कबीरदास भारतीय मनीषा के पहले विद्रोही कवि जाने जाते हैं, उन्होंनें अंधविश्वास के खिलाफ विद्रोह किया था। संत कबीरदास ने अपने जीवनकाल में अनेकों सुंदर दोहों की रचना की है जो आज भी प्रासंगिक हैं।
संत कबीरदास भक्तिकाल के महान कवि रहे हैं, इन्होंने अपना पूरा जीवन समाज को सुधारने के लिए समर्पित किया। कबीरदास को कर्म प्रधान कवि भी कहा गया है, उनका नाम हिंदी साहित्य में अमर है। कबीर के दोहे आज भी समसामयिक और जीवंत है। जिनमें समाज की वर्तमान दशा को दर्शाया गया है। वह कवि होने के साथ समाज कल्याण और समाजसेवा में भी व्यस्त रहते थे। उनकी उदारता और महानता के लिए उन्हें संत की उपाधि भी दी गई थी।
संत कबीरदास का लालनपालन मुस्लिम परिवार में हुआ था, वह जात-पात में विश्वास नहीं रखते थे। वैसे तो संत कबीरदास के जन्म का प्रमाण नहीं मिलता है, लेकिन कहा जाता है कि जिस दिन संत कबीरदास का जन्म हुआ था उस दिन ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा थी। संत कबीरदास की जन्मतिथि को कबीरजयंती के नाम से जाना जाता है।