ट्रंप की अमेरिकी फर्स्ट की जबरदस्त घेराबंदी- यूएन वोटिंग में रूस का साथ- यूरोपीय यूनियन दंग- यूक्रेन धड़ाम- खनिज संपदा देने पर राजी!

यूएन में अमेरिका ने रूस का साथ देकर दुनिया को चौंकाया- आखिर झुक गया यूक्रेन? क्या रूस भी मोहरा बना?
अमेरिकी फर्स्ट के आगे यूक्रेन ने घुटने टेके- अमेरिका से खनिज समझौते पर सहमत- शुक्रवार को वाशिंगटन में बातचीत- अधिवक्ता के.एस. भावनानी

अधिवक्ता किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर भारतीय कहावतें पूरी दुनिया सहित युद्ध पीड़ित देशों पर भी लागू हो रही है जो अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में ट्रंप की जीत होने के बाद जिधर दम उधर हम, जिसकी लाठी उसी की भैंस, मेरी मुर्गी की एक टांग, जहां हम खड़े होते हैं वहीं से लाइन शुरू होती है, इत्यादि अनेक कहावतें एक झटके से लागू हो रहे हैं! जी हां हम बात कर रहे हैं अमेरिका में ट्रंप के राष्ट्रपति बनते ही सबसे पहले उन्होंने चुनावी सभा में किए गए वादों को पूरा करने की झड़ी सी लगा दी है। अवैध प्रवासी को बाहर का रास्ता, टैरिफ लगाना, यूक्रेन रूस युद्ध को समाप्त करवाने की प्रक्रिया शुरू करने के बाद अब अमेरिकी फर्स्ट, की तर्ज पर अर्थव्यवस्था में भारी सुधार के नाम पर रूस से बातचीत को मोहरा बनाकर यूक्रेन से खनिज संपदा लेना जो एक तरह का यूक्रेन को युद्ध में साथ देने की फीस है, पनामा से नहर को लेना इत्यादि। अनेक सुधारो की एक झड़ी सी लग गई है तो उधर यूरोपीय संघ को अलग-अलग करने की भी गुंजाइश दिख रही है, जिसे यूरोपीय यूनियन भी दंग है।

वहीं अमेरिका से अलग-थलग यूक्रेन के साथ शिखर सम्मेलन हो रहे हैं उधर अमेरिका संयुक्त राष्ट्र में यूक्रेन मुद्दे पर रुस के पक्ष में वोटिंग कर दुनिया को चौंका दिया है। मेरा मानना है कि इन सब नीतियों, रणनीतियों के पीछे पनामा से नहर, यूक्रेन से खनिज संपदा व अनेक देशों से टैरिफ के रूप में भारी मात्रा में धन् इकट्ठा कर अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मजबूत व अपने अमेरिकी फर्स्ट की विचारधारा व लक्ष्य अर्थात विजन को आगे बढ़ाना है इन सब के बीच पूरी दुनिया की नजरे ट्रंप जेलेंस्की की शुक्रवार को हो रही बैठक पर लगी हुई है। चूँकि यूएन में अमेरिका ने रूस का साथ देकर दुनिया को चौकाया है, आखिर झुक ही गया रूक्रेन, क्या इस पूरी प्रक्रिया में रुस भी मोहरा बन गया? तथा अमेरिकी फर्स्ट के आगे यूक्रेन ने घुटने टेके? अमेरिका से खनिज संबंधी शर्त पर सहमति कर शुक्रवार को वाशिंगटन में बातचीत होगी, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे, ट्रंप की अमेरिका फर्स्ट की जबरदस्त घेराबंदी, यूएन में रूस का साथ, यूरोपीय यूनियन दंग, यूक्रेन धड़ाम, खनिज संपदा देने पर राजी हो गया है!

साथियों बात अगर हम 25 फरवरी 2025 को संयुक्त राष्ट्र में यूक्रेन मुद्दे पर चुनाव में अमेरिका ने रूस को साथ देने की करें तो, अमेरिका के एक कदम से यूक्रेन और राष्ट्रपति जेलेंस्की को बड़ा झटका लगा है। संयुक्त राष्ट्र के तीन प्रस्तावों पर मतदान के दौरान अमेरिका रूस के साथ खड़ा नजर आया। यूएन में यूरोपीय संघ और यूक्रेन की ओर से रूस के हमले की निंदा से जुड़ा एक प्रस्ताव पेश किया गया था लेकिन, अमेरिका ने इस प्रस्ताव के खिलाफ वोट किया। अमेरिका के इस कदम से यूएस और यूरोप के संबंधों पर भी प्रभाव पड़ने की आशंका है, दोनों के रिश्तों में थोड़ी तल्खी भी आई है। इसके अलावा रूस-यूक्रेन युद्ध पर अमेरिका के बदलते रुख ने एक नया संदेह को भी जन्म दे दिया है।

इस प्रस्ताव के पक्ष में 93, विपक्ष में 18 और 65 मतों के साथ पारित किया गया। बता दें रूस और यूक्रेन में बीते तीन साल से जारी युद्ध को खत्म करने की मांग करते हुए संयुक्त राष्ट्र में एक प्रस्ताव पेश किया गया था। प्रस्ताव में रूस की आक्रामकता की निंदा की गई थी और रूसी सैनिकों की तत्काल वापसी की मांग की गई थी। संयुक्त राष्ट्र महासभा में अमेरिका और रूस ने यूरोप समर्थित यूक्रेन के प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया था। इसके बाद अमेरिका ने अपने प्रतिस्पर्धी प्रस्ताव पर मतदान से खुद को अलग कर लिया था। अमेरिका की इस नीति से यूक्रेन को जोरदार झटका लगा है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य देश अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन और फ्रांस के पास वीटो की शक्ति है।

15 सदस्यीय परिषद में शून्य के मुकाबले 10 वोट से मतदान हुआ और पांच देश मतदान से दूर रहे। ये सभी यूरोपीय देश थे। अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रंप ने संघर्ष के जल्द से जल्द समाधान के लिए रूस के साथ अचानक बातचीत शुरू की जिससे यूक्रेन के साथ अमेरिका के रिश्ते में तल्खी आई है। यूरोपीय नेता भी इस बात से निराश हैं कि पिछले सप्ताह उन्हें और यूक्रेन को रूस के साथ प्रारंभिक वार्ता से बाहर रखा गया था। मीडिया में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक मतदान में महासभा ने यूक्रेन को लेकर प्रस्ताव पर 18 के मुकाबले 93 मतों से मंजूरी दी, जबकि 65 सदस्यों ने मतदान नहीं किया था। इसके कारण यूक्रेन के लिए समर्थन कम होता दिख रहा है।

क्योंकि पिछले मतदान में 140 से अधिक देशों ने रूस के हमले की निंदा की थी और उससे तत्काल सैनिकों की वापसी की मांग की थी। इसके बाद सभा ने रूस और यूक्रेन युद्ध के दौरान हुई आम लोगों की मौत संबंधी अमेरिका के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी।प्रस्ताव में संघर्ष को जल्द खत्म करने और यूक्रेन-रूस के बीच स्थायी शांति की अपील की गई थी, हालांकि इसमें रूस की आक्रामकता का कहीं भी जिक्र नहीं किया गया था। बता दें, रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध बीते करीब तीन सालों से जारी है। रूस लगातार यूक्रेन के शहरों पर हमला कर रहा है। यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की अमेरिका सहित यूरोप के कई देशों से मदद की मदद ले रहे हैं, हालांकि अमेरिका में सत्ता परिवर्तन के बाद नए शासक ट्रंप की यूक्रेन-रूस को लेकर नीतियों में थोड़ा बदलाव आया है, जिसकी बानगी मतदान के दौरान भी नजर आई थी।

साथियों बात अगर हम अमेरिका यूक्रेन में खनिज संपदा आर्थिक समझौते पर यूक्रेन के झुकाने की करें तो, यूक्रेन के राष्ट्रपति ने बुधवार को कहा कि अमेरिका के साथ एक रूपरेखा आर्थिक समझौता तैयार है, लेकिन रूस के साथ युद्ध में कीव के लिए महत्वपूर्ण माने जाने वाली अमेरिकी सुरक्षा गारंटी पर अभी फैसला होना बाकी है और पूर्ण समझौता शुक्रवार को वाशिंगटन में होने वाली वार्ता पर निर्भर करेगा। अमेरिका के राष्ट्रपति ने कहा है कि जेलेंस्की शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण खनिज सौदे पर हस्ताक्षर करने के लिए अमेरिका आएंगे। ट्रंप ने बुधवार को अपनी पहली कैबिनेट बैठक की शुरुआत में यह घोषणा की। जेलेंस्की ने कीव में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि जिस रूपरेखा समझौते पर सहमति बनी है, वह एक व्यापक समझौते की दिशा में एक प्रारंभिक कदम है, जिस पर यूक्रेन की संसद की मंजूरी की जरूरत होगी।

जेलेंस्की ने कहा कि यूक्रेन को पहले यह जानना होगा कि अमेरिका अपने निरंतर सैन्य समर्थन के मामले में कहां खड़ा है। उन्होंने कहा कि उन्हें वाशिंगटन की यात्रा के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ व्यापक बातचीत की उम्मीद है।उन्होंने कहा, यह (आर्थिक) समझौता भविष्य की सुरक्षा गारंटी का हिस्सा हो सकता है, लेकिन मैं व्यापक दृष्टिकोण को समझना चाहता हूं। पिछले महीने राष्ट्रपति पद संभालने के बाद से ट्रंप ने यूक्रेन को बता दिया कि वह रूस द्वारा तीन साल पहले 24 फरवरी, 2022 को शुरू किए गए आक्रमण को रोकने के लिए अमेरिका से अरबों डॉलर की मदद के बदले में कुछ चाहते हैं।

व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने बुधवार को फिर से स्पष्ट किया कि समझौते को स्वीकार करना शुक्रवार को जेलेंस्की को मिलने के लिए ट्रंप के निमंत्रण की एक आवश्यक शर्त थी। जेलेंस्की ने कहा, ‘यह समझौता या तो बहुत सफल हो सकता है या चुपचाप खत्म हो सकता है। उन्होंने कहा, मेरा मानना है कि सफलता राष्ट्रपति ट्रंप के साथ हमारी बातचीत पर निर्भर करती है। मैं अमेरिका के साथ ट्रांसपेरेंसी के साथ समन्वय करना चाहता हूं।

साथियों बात अगर हम रुस को मोहरा बनाकर यूक्रेन पर दबाव बनाकर खनिज संपदा हथियाना व उन खनिजों को जानने की करें तो, जब से ये खबर आई है कि ट्रंप दुर्लभ खनिजों के लिए यूक्रेन से डील करने जा रहे हैं, तब से दुनिया भर में हलचल है, ट्रंप ने पहले तो दुत्कारा और रूस को पुचकारा, फिर ये डील! वो भी रेयर अर्थ मिनरल्स के लिए! ये न सिर्फ दुर्लभ है बल्कि बेशकीमती भी है। जिसके पास ये है उसकी इकॉनमी भी कुलांचे भरेगी, तो आखिर ये है क्या? रेयर अर्थ मिनरल्स 17 रासायनिक रूप से समान तत्वों का एक समूह है, जो पृथ्वी की पपड़ी में पाए जाते हैं।

इन्हें अक्सर एक साथ रखा जाता है क्योंकि इनकी विशेषताएँ मिलती-जुलती हैं, ये तत्व आधुनिक तकनीकों के उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जैसे कि इलेक्ट्रॉनिक्स, नवीकरणीय ऊर्जा, और रक्षा प्रणालियाँ! 17 रेयर अर्थ तत्वों में शामिल हैं : लैंथेनम, सेरियम, प्रसी, ओडाइमियम, सी नियोडाइमियम, प्रोमेथियम, समेरियम, यूरोपियम, गैडोलिनियम, टर्बियम, डिस प्रोसियम, होल्मियम, एर्बियम, थुलियम, यिट्रबियम, लुटेटियम, यिट्रियम, (इसे अक्सर रेयर अर्थ तत्व माना जाता है, हालांकि यह लैंथेनाइड श्रृंखला का हिस्सा नहीं है) अब सवाल उठता है कि अमेरिका क्यों चाहता है यूक्रेन से ये निकाला जाए, इसके कई कारण हैं।

(1) अमेरिका अपनी आपूर्ति के लिए अलग-अलग देशों पर निर्भर होना चाहता है। अभी चीन दुनिया को सबसे ज़्यादा दुर्लभ धातुएँ देता है। इससे अमेरिका को चिंता है कि चीन इन धातुओं की कीमतें बढ़ा सकता है या उनकी सप्लाई रोक सकता है।

(2) अमेरिका और चीन के बीच राजनीतिक तनाव बढ़ रहा है। इसलिए अमेरिका अपनी जरूरत की चीज़ें खुद बनाना चाहता है। यूक्रेन में बहुत सारी दुर्लभ धातुएँ हैं और वह अमेरिका का साथ दे सकता है।

(3) यूक्रेन में बहुत सारी दुर्लभ धातुएँ हैं लेकिन उनका इस्तेमाल नहीं हो रहा है। अमेरिका यूक्रेन को इन धातुओं को निकालने में मदद कर सकता है। इससे यूक्रेन की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी और अमेरिका को धातुएँ भी मिलेंगी।

(4) दुर्लभ धातुओं का इस्तेमाल नई तकनीकों जैसे सौर ऊर्जा, इलेक्ट्रिक गाड़ियाँ और कंप्यूटर बनाने में होता है। अमेरिका को डर है कि अगर उसे ये धातुएँ नहीं मिलीं तो वह नई तकनीक नहीं बना पाएगा।

(5) रूस ने यूक्रेन पर हमला किया है। अमेरिका यूक्रेन की मदद कर रहा है। दुर्लभ धातुओं के व्यापार से यूक्रेन की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी और वह रूस से लड़ने में सक्षम होगा।इस तरह, अमेरिका यूक्रेन को दुर्लभ धातुओं का एक नया स्रोत मानता है। इससे अमेरिका को अपनी जरूरत की धातुएँ मिलेंगी और यूक्रेन को भी उसमे बहुत मदद मिलेगी।

साथियों बात अगर हम यूरोपियन यूनियन की स्थिति की करें तो, इन यूरोपीय शक्तियों का कहना है कि हमारा साझा उद्देश्य यूक्रेन को एक मजबूत स्थिति में लाने का होना चाहिए। ताकि यूक्रेन को एक मजबूत सुरक्षा गारंटी प्रदान की जा सके। साथ ही वहां एक न्याय संगत स्थायी शांति ट्रांस अटलांटिक सुरक्षा के लिए भी आवश्यक है। यूरोपीय देशों ने एक सुर में कहा है कि अमेरिकी सहयोंगियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर साथ चलना चाहती हैं। इस मामले में फ्रांस के विदेश मंत्री ने बुधवार को ब्रिटेन, जर्मनी, पोलैंड, इटली, स्पेन, यूक्रेन और यूरोपियन कमीशन के साथ बैठक की। इस बैठक में सभी इस नतीजे पर पहुंचे कि यूक्रेन को लेकर यूरोपीय देशों की भागीदारी के बिना किया गया कोई भी फैसला स्थायी शांति नहीं ला सकेगा। वहीं जर्मनी ने इस मामले में यूरोपीय यूनियन से एकजुट होने का आह्वान किया है। स्पेन का कहना है कि हम लोग चाहते हैं कि यूक्रेन में शांति हो, लेकिन अन्यायपूर्ण तरीके से शुरू हुआ ये युद्ध न्यायपूर्ण तरीके से समाप्त होना चाहिए।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि ट्रंप की अमेरिकी फर्स्ट की ज़बरदस्त घेराबंदी- यूएन वोटिंग में रूस का साथ- यूरोपीय यूनियन दंग- यूक्रेन धड़ाम- खनिज संपदा देने पर राज़ी! यूएन में अमेरिका ने रूस का साथ देकर दुनिया को चौंकाया- आखिर झुक गया यूक्रेन?- क्या रूस भी मोहरा बना? अमेरिकी फर्स्ट के आगे यूक्रेन ने घुटने टेके- अमेरिका से खनिज समझौते पर सहमत- शुक्रवार को वाशिंगटन में बातचीत।

(सूचना – उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं। यह जरूरी नहीं है कि कोलकाता हिंदी न्यूज डॉट कॉम इससे सहमत हो। इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है।)

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