अशोक वर्मा “हमदर्द”, कोलकाता। डोनाल्ड ट्रंप के पुनः अमेरिका के राष्ट्रपति बनने पर भारत के लिए कई संभावित प्रभाव हो सकते हैं। ट्रंप की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति और भारत के साथ उनके संबंधों का विश्लेषण कर हम समझ सकते हैं कि उनका राष्ट्रपति बनने से भारत पर क्या-क्या असर पड़ेगा। ट्रंप प्रशासन की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति का अर्थ है कि वे उन व्यापारिक समझौतों में अधिक दिलचस्पी रखते हैं जो सीधे अमेरिका के हितों को बढ़ावा दें।
भारत-अमेरिका व्यापारिक संबंधों में उनकी यह नीति नये टैरिफ और व्यापारिक सीमाएं ला सकती है, जिससे भारत को नकारात्मक प्रभाव झेलना पड़ सकता है। हालांकि, भारतीय कंपनियों के लिए अमेरिका एक महत्वपूर्ण बाजार है, विशेषकर आईटी और फार्मास्युटिकल क्षेत्र में। ट्रंप की वापसी से दोनों देशों के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ सकता है, जिससे भारतीय निर्यात पर प्रभाव पड़ेगा।
रणनीतिक और रक्षा सहयोग भी भारत को मिलने के आसार नजर आ रहे है। ट्रंप के कार्यकाल में भारत के साथ रक्षा संबंध मजबूत हुए थे और उन्होंने भारत को एक प्रमुख रक्षा साझेदार माना था। उनके सत्ता में आने पर इस सहयोग को और विस्तार मिल सकता है, खासकर चीन के प्रति उनके सख्त रवैये के कारण। ट्रंप के सत्ता में लौटने से भारत-अमेरिका रक्षा साझेदारी और गहरी हो सकती है, जिससे भारत को अमेरिका से उन्नत सैन्य तकनीक और उपकरण मिलने में सुविधा होगी। यह भारत की सैन्य क्षमताओं को और अधिक सुदृढ़ बना सकता है।
इस जीत का असर भारत के निवेश पर खासा पड़ेगा। ट्रंप ने अमेरिका में निवेश करने वाली विदेशी कंपनियों के लिए कई नई शर्तें रखी थीं। यदि वे फिर से राष्ट्रपति बनते हैं, तो हो सकता है कि भारतीय कंपनियों को अमेरिका में निवेश करने में कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़े। इसके अलावा, वीजा नीतियों में भी सख्ती हो सकती है। जिससे भारतीय पेशेवरों के लिए अमेरिका में नौकरी करना मुश्किल हो सकता है। इसका प्रभाव भारत के आईटी सेक्टर पर पड़ेगा, जो प्रमुख रूप से अमेरिकी कंपनियों को सेवाएं प्रदान करता है।
ट्रंप प्रशासन का चीन पर कड़ा रुख था, जो भारत के लिए अनुकूल था। भारत और चीन के बीच तनावपूर्ण संबंधों के चलते ट्रंप का पुनः राष्ट्रपति बनना भारत के लिए फायदेमंद हो सकता है। इसके अलावा पाकिस्तान के प्रति उनकी नीति भी भारत के हितों के अनुरूप हो सकती है। जिससे आतंकवाद के खिलाफ भारत को समर्थन मिल सकता है। जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण नीतियां भी इस जीत पर अपना असर दिखाएगी।
ट्रंप ने पहले कार्यकाल में जलवायु परिवर्तन के मुद्दों पर बहुत ध्यान नहीं दिया था और पेरिस जलवायु समझौते से भी बाहर हो गए थे। भारत के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण स्थिति हो सकती है क्योंकि भारत जलवायु परिवर्तन से संबंधित मुद्दों पर वैश्विक सहयोग बढ़ाने का समर्थन करता है। ट्रंप के पुनः राष्ट्रपति बनने पर जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर भारत और अमेरिका के बीच मतभेद बढ़ सकते हैं।
वैश्विक स्तर पर अगर देखा जाए तो भारतीय प्रवासियों पर इसका खास असर देखने को मिलेगा। ट्रंप प्रशासन के दौरान प्रवासियों की नीति पर सख्त रुख देखा गया था, जिससे भारतीय प्रवासियों पर भी असर पड़ा था। उनके दोबारा राष्ट्रपति बनने पर भारतीय प्रवासियों, विशेषकर एच-1बी वीजा धारकों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। इसके अलावा, ट्रंप की प्रवासी नीति का असर भारतीय छात्रों और कामकाजी पेशेवरों पर भी पड़ सकता है, जो अमेरिका में करियर बनाने की सोचते हैं।
कुल मिलाकर, डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति बनने पर भारत पर मिले-जुले प्रभाव पड़ सकते हैं। व्यापारिक और प्रवासी नीतियों में कठिनाई बढ़ सकती है, वहीं रक्षा और रणनीतिक क्षेत्रों में सहयोग की संभावना प्रबल है। हालांकि, इसका अधिकांश प्रभाव ट्रंप की आगामी विदेश नीति पर निर्भर करेगा और यह कि वे भारत के साथ संबंधों को किस रूप में देखते हैं।
(स्पष्टीकरण : इस आलेख में दिए गए विचार लेखक के हैं और इसे ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है।)
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