उज्जैन। राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के तत्वावधान में विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित आभासी गोष्ठी जिसका विषय- भारत की पर्यावरणीय दृष्टि और वैश्विक परिदृश्य और उसकी प्रासंगिकता पर आधारित रही। इस गोष्ठी में डॉ. शैलेंद्र कुमार शर्मा, कुलानुशासक एवं हिंदी विभागाध्यक्ष, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन ने अपने मंतव्य में कहा, पर्यावरण का संबंध केवल भौतिक या बाह्य जीवन से नहीं अपितु इसका रिश्ता भावात्मक मूल्यपरक सांस्कृतिक और आत्मीय है। अध्यक्षीय भाषण में पूर्व शिक्षा अधिकारी, ब्रजकिशोर शर्मा, अध्यक्ष, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने कहा, भारतीय संस्कृति का नाम ही अरण्य संस्कृति है। शिक्षा के माध्यम से बच्चों को बचपन से ही पर्यावरण के बारे में जानकारी प्रदान करना चाहिए।
विशिष्ट अतिथि डॉ. रश्मि चौबे, गाजियाबाद, कार्यकारी अध्यक्ष महिला इकाई, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने कहा, पर्यावरण बचाने के लिए कूड़े कचरे का उचित प्रबंधन और पेड़ पौधे लगाना परम आवश्यक है। विशेष अतिथि डॉ. अनीता तिवारी ने कहा, प्रदूषण को हटाना है, पर्यावरण को बचाना है। विशिष्ट वक्ता डॉ. प्रभु चौधरी, महासचिव राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना, उज्जैन ने कहा, वृक्ष उगाऐं और घर-घर में हरियाली लाऐं। विशिष्ट अतिथि डॉ. दक्षा जोशी ने कहा, विलुप्त प्राणियों को बचाने के लिए पर्यावरण को बचाना आवश्यक है।
विशेष अतिथि पदमचंद गांधी ने कहा, हमारे स्वयं के कर्मों के कारण ही आज पर्यावरण प्रदूषण की समस्या हुई है। डॉ. जया सिंह ने कहा, हमें हमारी आने वाली पीढ़ी को अच्छी प्रकृति देकर जाना चाहिए। कार्यक्रम का संचालन श्वेता मिश्रा राष्ट्रीय सचिव, पुणे, महाराष्ट्र ने किया।कार्यक्रम की शुरूआत संध्या सिंह, पुणे की सरस्वती वंदना से हुई। स्वागत भाषण डॉ. अरुणा सराफ इंदौर ने दिया। प्रस्तावना सुधा, चंडीगढ़ ने प्रस्तुत की आभार डॉ. अनीता भाटी प्रदेश अध्यक्ष महिला इकाई इन्दौर ने व्यक्त किया।
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